प्रश्न 1: कहानी "तीन मछलियाँ" किस ग्रंथ से ली गई है?
उत्तर: यह कहानी पंचतंत्र से ली गई है। इसमें तीन मछलियाँ और उनके स्वभाव का वर्णन है। कहानी हमें समझदारी और मेहनत का महत्व बताती है।
प्रश्न 2: तीनों मछलियों के नाम क्या थे?
उत्तर: तीनों मछलियों के नाम अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य थे। ये तीनों आपस में अच्छी दोस्त थीं और सरोवर में रहती थीं।
प्रश्न 3: अनागतविधाता का स्वभाव कैसा था?
उत्तर: अनागतविधाता बहुत बुद्धिमान थी। वह हमेशा पहले से सोचकर किसी भी समस्या का उपाय कर लेती थी। इसी कारण वह संकट से बच गई।
प्रश्न 4: प्रत्युत्पन्नमति ने मुसीबत से कैसे बचाव किया?
उत्तर: प्रत्युत्पन्नमति ने मरे होने का नाटक किया। मछुआरों ने उसे मरा समझकर पानी में फेंक दिया और वह बच गई।
प्रश्न 5: यद्भविष्य का व्यवहार कैसा था?
उत्तर: यद्भविष्य आलसी थी। वह भाग्य पर भरोसा करती थी और समय पर कोई उपाय नहीं करती थी। इसी कारण वह मुसीबत में फंस गई।
प्रश्न 6: मछुआरे सरोवर में क्यों आए थे?
उत्तर: मछुआरे सरोवर में मछलियाँ पकड़ने आए थे। उन्होंने तय किया कि अगली सुबह जाल डालकर मछलियाँ ले जाएँगे।
प्रश्न 7: अनागतविधाता ने सभा में क्या सलाह दी?
उत्तर: अनागतविधाता ने कहा कि सबको दूसरा सरोवर खोजकर वहाँ चले जाना चाहिए। इस तरह मछुआरों के जाल से बचा जा सकता है।
प्रश्न 8: प्रत्युत्पन्नमति ने अनागतविधाता की बात क्यों नहीं मानी?
उत्तर: प्रत्युत्पन्नमति ने सोचा कि वह समय आने पर कोई उपाय कर लेगी। इसलिए उसने सरोवर छोड़कर जाने से इनकार कर दिया।
प्रश्न 9: अनागतविधाता क्यों बच गई?
उत्तर: अनागतविधाता ने पहले ही मछुआरों का खतरा समझ लिया था। उसने समय रहते दूसरा सरोवर खोज लिया और वहीं चली गई। इस कारण वह बच गई।
प्रश्न 10: यद्भविष्य का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: यद्भविष्य ने कोई योजना नहीं बनाई। मछुआरों ने उसे पकड़ लिया और वह अपनी जान नहीं बचा सकी।
प्रश्न 1: कहानी की तीनों मछलियों के स्वभाव में क्या अंतर था?
उत्तर: तीनों मछलियों के स्वभाव अलग-अलग थे। अनागतविधाता समझदार थी और पहले से उपाय कर लेती थी। प्रत्युत्पन्नमति की बुद्धि तेज थी और वह समय आने पर उपाय करती थी। लेकिन यद्भविष्य आलसी थी और केवल भाग्य पर भरोसा करती थी। इन तीनों के स्वभाव से हमें अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं।
प्रश्न 2: जब मछुआरे सरोवर में आए तो तीनों मछलियों ने क्या निर्णय लिया?
उत्तर: मछुआरे जाल डालने की योजना बना रहे थे। यह सुनकर तीनों मछलियाँ आपस में विचार करने लगीं। अनागतविधाता ने तुरंत सरोवर छोड़ने की सलाह दी। प्रत्युत्पन्नमति ने कहा कि वह यहीं रहेगी और समय आने पर उपाय करेगी। यद्भविष्य ने कहा कि जो होगा, भाग्य में लिखा है। इस तरह तीनों ने अलग-अलग निर्णय लिए।
प्रश्न 3: प्रत्युत्पन्नमति ने संकट से कैसे छुटकारा पाया?
उत्तर: जब मछुआरों ने जाल डाला, तो प्रत्युत्पन्नमति भी उसमें फँस गई। लेकिन उसने चतुराई से अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और मरे होने का नाटक किया। मछुआरे उसे मरा समझकर पानी में फेंक गए। इस तरह वह अपनी तेज बुद्धि से संकट से बच गई।
प्रश्न 4: यद्भविष्य की गलती क्या थी और उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: यद्भविष्य बहुत आलसी थी और केवल भाग्य पर भरोसा करती थी। उसने न तो पहले से कोई योजना बनाई और न ही समय पर कोई उपाय किया। उसने सोचा कि शायद मछुआरे आए ही नहीं। लेकिन जब मछुआरे आए तो वह उनके जाल में फँस गई। इस कारण उसकी जान नहीं बच सकी।
प्रश्न 5: इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि संकट से बचने के लिए पहले से सोच-विचार और योजना बनाना जरूरी है। मेहनत और समझदारी हमेशा लाभ देती है। जो लोग समय पर सही निर्णय लेते हैं, वे सुरक्षित रहते हैं। लेकिन आलस्य और भाग्य पर भरोसा करने से मुसीबत आ सकती है। इसलिए हमें हमेशा सतर्क और चतुर रहना चाहिए।
5 videos|133 docs|12 tests
|
1. "तीन मछलियाँ" कहानी का मुख्य संदेश क्या है ? | ![]() |
2. इस कहानी में तीन मछलियों के पात्रों का क्या महत्व है ? | ![]() |
3. "तीन मछलियाँ" कहानी में किस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया गया है ? | ![]() |
4. क्या इस कहानी में कोई नैतिक शिक्षा है ? | ![]() |
5. "तीन मछलियाँ" कहानी का अंत क्या है ? | ![]() |